Navodaya Vidyalaya में 12,000+ टीचर की कमी: शिक्षा मंत्रालय ने मानी स्टाफ क्रंच की सच्चाई

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देश के सबसे प्रतिष्ठित आवासीय स्कूल सिस्टम Navodaya Vidyalaya इन दिनों गंभीर स्टाफ संकट का सामना कर रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय ने राज्यसभा में यह साफ किया है कि Kendriya Vidyalaya और Navodaya दोनों में मिलाकर 12,000 से ज्यादा टीचिंग पद खाली हैं।
यह संकट सीधे लाखों छात्रों की पढ़ाई और शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है।

शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

Navodaya Vidyalaya Samiti (NVS) और Kendriya Vidyalaya Sangathan (KVS) — दोनों भारत सरकार के अधीन काम करने वाले शिक्षा संस्थान हैं, जिन्हें देश के दूरदराज़ इलाकों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने के लिए स्थापित किया गया था।

हाल ही में राज्यसभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार:

  • Kendriya Vidyalaya में 6,400 से अधिक शिक्षक पद खाली हैं।

  • Navodaya Vidyalaya में करीब 5,959 पदों पर अभी भी नियुक्ति नहीं हुई है

  • कुल मिलाकर लगभग 12,359 पद खाली पड़े हैं

Navodaya में स्टाफ की कमी से क्या हो रहा है असर?

Navodaya स्कूलों का उद्देश्य ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों से आने वाले मेधावी छात्रों को फ्री और क्वालिटी एजुकेशन देना है। लेकिन जब लगभग हर विषय में टीचर नहीं मिल रहे, तो छात्रों के प्रदर्शन पर सीधा असर पड़ता है।

मुख्य प्रभाव:

  • विषयों का सही तरीके से पढ़ाया न जाना

  • रिक्तियों की वजह से अतिथि शिक्षकों पर निर्भरता

  • छात्रों की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी पर असर

  • गुणवत्ता में गिरावट और छात्र-अध्यापक अनुपात में असंतुलन

पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में हालात सबसे खराब

Navodaya Vidyalaya और Kendriya Vidyalaya का स्टाफ संकट कुछ राज्यों में और भी ज्यादा गंभीर है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार:

  • पंजाब में केंद्रीय स्कूलों में टीचिंग स्टाफ की सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई है।

  • हरियाणा और हिमाचल में भी कई स्कूलों में 50% से ज्यादा पद खाली हैं।

  • कई स्कूलों में एक ही टीचर को 2-3 विषय पढ़ाने पड़ रहे हैं।

सरकार क्या कर रही है इस संकट को हल करने के लिए?

राज्यसभा में दिए गए जवाब के मुताबिक:

  • Navodaya Vidyalaya में भर्ती प्रक्रिया को तेज करने के लिए केंद्रीय चयन बोर्ड सक्रिय है।

  • कॉन्ट्रैक्ट और गेस्ट टीचर्स की अस्थायी नियुक्तियां जारी हैं।

  • नई ऑनलाइन रिक्रूटमेंट प्रक्रिया से जल्द 5,000 से अधिक पदों पर भर्ती की उम्मीद है।

लेकिन शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अस्थायी समाधान से स्थायी सुधार नहीं होगा।

क्या छात्रों का भविष्य खतरे में है?

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जब एक छात्र को फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स — तीनों के लिए अलग-अलग विषय विशेषज्ञ न मिलें, तो उसके बोर्ड परीक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी अधूरी रह जाती है।

Navodaya Vidyalaya जैसे संस्थानों में दाखिला पाना एक बड़ा सपना होता है, लेकिन शिक्षक न होने से वह सपना अधूरा रह सकता है।

क्या केवल टीचिंग ही नहीं, नॉन-टीचिंग स्टाफ की भी कमी है?

हाँ, रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि सिर्फ शिक्षक ही नहीं, बल्कि:

  • प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, लाइब्रेरियन, लैब असिस्टेंट और क्लर्क्स जैसी नॉन-टीचिंग पोस्ट भी हजारों की संख्या में खाली हैं।

इससे स्कूल का प्रशासन, लाइब्रेरी, साइंस लैब और स्पोर्ट्स जैसी अन्य गतिविधियाँ भी प्रभावित होती हैं।

निष्कर्ष: शिक्षा की रीढ़ बन रहे हैं ये संस्थान, लेकिन…

Navodaya Vidyalaya सिर्फ स्कूल नहीं हैं, ये ग्रामीण भारत के होनहार बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले संस्थान हैं।
अगर यहां पर स्टाफ की इतनी भारी कमी बनी रही, तो शिक्षा का स्तर गिरना तय है।

सरकार को जल्द से जल्द स्थायी भर्तियाँ करनी होंगी और ऐसे मॉडल को स्थिर बनाना होगा, वरना देश का सबसे भरोसेमंद स्कूल नेटवर्क कमजोर पड़ सकता है।

Disclaimer

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए Trending Tadka के विशेषज्ञों द्वारा लिखा गया है। यह लेख मीडिया रिपोर्ट्स, शिक्षा मंत्रालय के बयान और संबंधित अनऑफिशियल स्रोतों पर आधारित है। कृपया किसी भी निर्णय से पहले ऑफिशियल वेबसाइट या संबंधित आधिकारिक स्रोत से जानकारी अवश्य प्राप्त करें।

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