Tumbbad: एक फिल्म, एक सफर, और 6 साल की मेहनत का फल

Tumbbad: एक फिल्म, एक सफर, और 6 साल की मेहनत का फल

Tumbbad

Tumbbad – एक ऐसी फिल्म जिसने अपनी रिलीज़ के साथ ही दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। ये फिल्म सिर्फ एक हॉरर मूवी नहीं है, बल्कि एक अजीब और दिलचस्प कहानी है जो हमारे लोककथाओं और मान्यताओं से जुड़ी है। फ़िल्म की री-रिलीज़ ने दर्शकों में फिर से उत्सुकता बढ़ा दी है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर इसे री-रिलीज़ क्यों किया गया, और इस फिल्म को बनने में पूरे 6 साल क्यों लगे? आइए, जानते हैं इस अनोखी कहानी के पीछे की पूरी कहानी!

Tumbbad

1. Tumbbad का ट्रेंड और री-रिलीज़

इस समय Tumbbad फिर से सुर्खियों में है, और ये ट्रेंडिंग क्यों हो रही है, इसका सबसे बड़ा कारण इसकी री-रिलीज़ है। 2018 में अपनी पहली रिलीज़ के समय यह फिल्म अंडररेटेड थी, लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया की बदौलत इसे एक कल्ट स्टेटस मिल गया है। यही वजह है कि प्रोड्यूसर्स ने इसे बड़े पर्दे पर फिर से लाने का फैसला किया है।

री-रिलीज़ के साथ, Tumbbad ने एक बार फिर से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसकी वापसी एक नई पीढ़ी के दर्शकों को सिनेमाघरों में लाने के लिए है, जो इस फिल्म को बड़े पर्दे पर अनुभव करना चाहते हैं। खासकर, जब आज के दर्शक जटिल और अनोखी कहानियों की तलाश में हैं, तब Tumbbad का री-रिलीज़ होना सही समय पर हुआ है।

आज के दर्शक जटिल और गहरी कहानियों की तलाश में हैं, और Tumbbad उन सभी मानदंडों को पूरा करती है। री-रिलीज़ के पीछे का दूसरा बड़ा कारण यह है कि फिल्म को सिनेमैटोग्राफिक मास्टरपीस के रूप में स्वीकारा जा रहा है, और कई नए दर्शक इसे थिएटर में अनुभव करना चाहते हैं।

2. फिल्म को बनने में 6 साल क्यों लगे?

Tumbbad के प्रोडक्शन में 6 साल लगे, और इसके पीछे कई चुनौतियाँ थीं। सबसे बड़ी चुनौती थी फिल्म की कहानी और उसकी पृष्ठभूमि को सही ढंग से प्रस्तुत करना। यह फिल्म महाराष्ट्र के एक छोटे गांव पर आधारित है, और 20वीं सदी की शुरुआत का सेटअप करना आसान नहीं था।

Visual effects और cinematography को लेकर निर्देशक राही अनिल बर्वे और टीम ने कई बार फिल्म के कुछ हिस्सों को दोबारा शूट किया। बारिश और खराब मौसम की वजह से भी शूटिंग प्रभावित हुई। फिल्म की प्रॉस्थेटिक मेकअप और सेट डिज़ाइन में भी बहुत मेहनत लगी। इसके अलावा, फिल्म की स्क्रिप्ट को कई बार रिवाइज़ किया गया ताकि यह दर्शकों के सामने बिल्कुल सही तरीके से आए।

Tumbbad

3. क्यों बनी यह फिल्म कल्ट क्लासिक?

Tumbbad की कहानी किसी साधारण हॉरर फिल्म जैसी नहीं है। यह भारतीय माइथोलॉजी, लालच, और एक प्राचीन देवता की रहस्यमय कथा को अद्भुत तरीके से पेश करती है। यह फिल्म उस दौर की बात करती है जब लालच इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी मानी जाती थी।

फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण है उसका विज़ुअल ट्रीटमेंट – गांव का अंधकारमय माहौल, भारी बारिश, और background score ने दर्शकों को उस डरावने संसार में धकेल दिया जहां हस्ता नाम का देवता सो रहा है।

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4. फिल्म की चुनौतियाँ और समस्याएँ

फिल्म बनाने के दौरान क्रिएटिव टीम को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पहले तो, budget constraints की वजह से फिल्म को बार-बार रोकना पड़ा। इसके अलावा, फिल्म में दिखाए गए visual effects और prosthetic makeup को इंडियन सिनेमा में इससे पहले इतनी गंभीरता से नहीं लिया गया था।

निर्देशक राही अनिल बर्वे ने खुद कहा कि उन्हें अपने विचारों को सही ढंग से प्रस्तुत करने के लिए कई सालों का वक्त लगा। वो चाहते थे कि फिल्म की cinematography और production design बिल्कुल परफेक्ट हो, इसलिए उन्होंने कई बार शूटिंग को स्थगित किया ताकि वह अपनी vision के साथ कोई समझौता न करें।

फिल्म की सबसे बड़ी चुनौती थी इसकी कहानी को सही ढंग से पर्दे पर उतारना। राही अनिल बर्वे, जिन्होंने इस फिल्म का निर्देशन किया, चाहते थे कि कहानी में दिखाया गया हर फ्रेम उतना ही वास्तविक और गहरा हो जितना उन्होंने सोचा था। इसके लिए, उन्होंने multiple reshoots किए और कई बार फिल्म के दृश्यों को दोबारा शूट करना पड़ा।

बजट की कमी भी एक बड़ी समस्या थी। फिल्म का स्केल बड़ा था, लेकिन इंडस्ट्री से इसे उतनी वित्तीय मदद नहीं मिल पाई जितनी एक बड़े प्रोजेक्ट को मिलती है। इससे फिल्म के प्रोडक्शन में कई बार रुकावटें आईं।

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5. Tumbbad के पीछे का संदेश

इस फिल्म के पीछे का संदेश साफ है: लालच का अंत हमेशा विनाशकारी होता है। चाहे वह दादी का हस्ता के खजाने के लिए हो या विनायक का खुद का लालच, फिल्म बार-बार इस बात पर जोर देती है कि जब तक हम अपने लालच पर काबू नहीं पाते, तब तक हम खुद को बर्बाद करते रहेंगे।

फिल्म की कहानी एक दुष्ट देवता हस्ता और एक परिवार के लालच के इर्द-गिर्द घूमती है। यह एक ऐसी कथा है जो भारतीय पौराणिक कहानियों से प्रेरित है। लालच का अंत हमेशा बुरा होता है, यही संदेश फिल्म देती है। विनायक का किरदार इस बात का प्रतीक है कि जब इंसान अपने लालच के पीछे भागता है, तो उसे अपनी आत्मा और जिंदगी की कीमत चुकानी पड़ती है।

Conclusion

Tumbbad सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि यह भारतीय सिनेमा में एक नई लहर का प्रतीक है। इसकी गहरी कहानी, बेहतरीन visuals, और dark atmosphere ने इसे एक cult classic बना दिया है। फिल्म की री-रिलीज़ इस बात का प्रमाण है कि अच्छी कहानियों को समय की कोई सीमा नहीं रोक सकती।

अगर आपने अभी तक इस फिल्म को नहीं देखा है, तो यह आपके लिए एक शानदार मौका है कि आप इस अद्भुत सफर का हिस्सा बनें और जानें कि आखिर Tumbbad को बनने में क्यों 6 साल लगे और क्यों यह फिल्म भारतीय सिनेमा की एक नायाब कृति मानी जाती है।

बल्कि यह भारतीय सिनेमा की नई लहर का प्रतीक है। इसकी re-release हमें याद दिलाती है कि अच्छी कहानियां और मेहनत कभी समय की बंदिशों में नहीं बंधतीं। फिल्म का हर फ्रेम एक masterpiece है और हर डायलॉग अपने आप में एक सीख देता है।

तो अगर आपने अभी तक यह फिल्म नहीं देखी है, तो यह सही मौका है कि आप Tumbbad की दुनिया में खो जाएं और देखें कि एक 6 साल का सफर कितना शानदार हो सकता है।

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