Tumbbad to Stree 2: Reviving the Glory of Folklore in Indian Cinema
पिछले कुछ सालों में भारतीय सिनेमा में पौराणिक कथाओं और लोककथाओं की ओर एक नई दिलचस्पी देखने को मिली है। Tumbbad, Stree, Kantara, Munjya, और Dasavathaaram जैसी फिल्मों ने भारत की समृद्ध और विविध लोककथाओं से प्रेरणा ली है, जिसमें रहस्य और जादुई कहानियों को आधुनिक कहानी के साथ खूबसूरती से जोड़ा गया है। यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की तरह है, जहां पुरानी कहानियाँ नए अंदाज़ में लौट रही हैं।
चलो नज़र डालते हैं उन फिल्मों पर जिन्होंने इस फोकलोर मूवमेंट को सिनेमा में नए आयाम दिए हैं।
1. Tumbbad (2018): लालच और भूले-बिसरे देवताओं की कहानी
तुम्बाड एक मास्टरपीस है, जिसने डार्क फोकलोर को फिर से जीवित किया। यह फिल्म महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाके में 20वीं सदी की शुरुआत में सेट है और एक भूले हुए देवता, हस्तर, की पौराणिक कथा को केंद्र में रखती है। फिल्म की माहौल और इसकी गहरी कथा ने इसे एक पुरानी लोककथा की तरह बना दिया है। तुम्बाड ने न केवल मनोरंजन किया बल्कि दर्शकों को भारत की दबी-छिपी पौराणिक कथाओं पर सोचने के लिए मजबूर किया।
यह फिल्म इंडियन फोकलोर में हॉरर को एक नए तरीके से पेश किया। फिल्म महाराष्ट्र के गांवों की पृष्ठभूमि में सेट है, जहां लालच और पौराणिक देवता हस्तर की कहानी गहराई से बुनी गई है। ये फिल्म 20वीं सदी के शुरुआती दौर की एक गाथा है, जो लालच के विनाशकारी परिणामों को दिखाती है।
पुराने, खंडहर हो चुके हवेली, लगातार बरसती बारिश, और हस्तर की खौफनाक मौजूदगी ने फिल्म के डार्क और सस्पेंसफुल माहौल को बखूबी उभारा है। फिल्म का हर फ्रेम एक पुरानी लोककथा की तरह लगता है, जहां मनुष्यों की अतृप्त इच्छाएं उन्हें देवताओं के प्रकोप की ओर धकेल देती हैं। तुम्बाड एक ऐसी फिल्म है जो दिखाती है कि कैसे भारतीय पौराणिक कहानियों का सार आज भी उतना ही रहस्यमयी और प्रभावी है।
2. Stree (2018): भूत, हास्य और समाज का अनोखा मेल
स्त्री एक ऐसी फिल्म है जो लोककथाओं से प्रेरित है और साथ ही इसमें एक मजबूत सामाजिक संदेश भी छिपा है। यह फिल्म “Stree” नाम की एक भूतनी पर आधारित है, जो मर्दों को उठा ले जाती है। इसमें हॉरर, कॉमेडी और जेंडर के मुद्दों को बड़ी खूबसूरती से पिरोया गया है। स्त्री 2 के आने से दर्शक इस अजीबोगरीब भूतनी की दुनिया में फिर से लौटने के लिए उत्साहित हैं। यह फिल्म साबित करती है कि फोकलोर आधारित कहानियों में भी हास्य और डर को संतुलित किया जा सकता है।
Stree 2(2024):रहस्यमयी आत्मा की वापसी – हास्य, डर और अनसुलझे रहस्य
फिल्म में एक बार फिर चंदेरी शहर के लोग के भूतिया आतंक का सामना करते नज़र आएंगे। कहानी में और गहराई से स्त्री के अतीत और उसकी रहस्यमयी शक्तियों को उजागर किया जाएगा। जहां पहली फिल्म में हॉरर और कॉमेडी का बेहतरीन मिश्रण देखने को मिला था, वहीं Stree 2 में और भी ज़्यादा हास्य, रोमांच, और डरावनी घटनाओं की उम्मीद की जा रही है।
स्त्री 2 के साथ, दर्शक यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि क्या इस बार स्त्री की कहानी को किसी नए मोड़ के साथ खत्म किया जाएगा, या वह फिर से चंदेरी के लोगों को परेशान करेगी।
3. Kantara (2022): भूमि के रक्षक और देवी-देवताओं की कहानी
Kantara कर्नाटक के तटीय क्षेत्र में सेट है और स्थानीय दैव पूजा और प्रकृति के साथ मनुष्य के संबंधों को दर्शाता है। यह फिल्म लोककथाओं की आत्मा को पकड़ती है, जहां भूमि और परंपरा पवित्र मानी जाती है। फिल्म की कहानी मानवीय संघर्ष और प्रकृति के साथ हमारे रिश्ते पर आधारित है। कन्तारा ने यह साबित किया कि प्रामाणिक लोककथाओं को सही तरीके से दिखाने पर वे सभी के दिलों को छू सकती हैं।
4. Munjya (आने वाली फिल्म): मराठी लोककथाओं का रोमांच
मराठी सिनेमा भी इस फोकलोर ट्रेंड को पकड़ने में पीछे नहीं है। मुंज्या एक ऐसी फिल्म है जो “मुंज्या” नामक डरावने प्रेत की कथा पर आधारित है। यह प्रेत उन ब्राह्मण लड़कों की आत्मा होती है, जिनकी हिंसक मौत हो जाती है। यह कहानी महाराष्ट्र की लोककथाओं में लंबे समय से मौजूद है, और अब आधुनिक सिनेमाई तकनीकों के साथ इसे बड़े पर्दे पर पेश किया जा रहा है।
5. Dasavathaaram (2008): इतिहास और पौराणिक कथाओं का मिलन
हालांकि दशावतारम पारंपरिक लोककथाओं में नहीं आती, लेकिन इसमें पौराणिक कथाओं का गहरा प्रभाव है। फिल्म में कमल हासन ने दस अलग-अलग भूमिकाएँ निभाई हैं, जो भगवान विष्णु के दस अवतारों का प्रतीक हैं। फिल्म पौराणिक और ऐतिहासिक कथाओं का अनोखा संगम है, और यह दिखाती है कि कैसे मिथक भारतीय संस्कृति में गहराई से जुड़े हुए हैं।
6. HanuMan (आने वाली फिल्म): भारतीय पौराणिक नायक का आधुनिक रूप
हनुमान एक आधुनिक सुपरहीरो फिल्म है, जो भगवान हनुमान की पौराणिक कहानी से प्रेरित है। यह फिल्म भारतीय पौराणिक नायक को एक नए अंदाज़ में पेश करने वाली है, जो आज के समय के दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करेगी। यह फिल्म भारतीय सिनेमा में पश्चिमी सुपरहीरो की बजाय भारतीय मिथकीय नायकों की ओर लौटने की एक महत्वपूर्ण कोशिश है।
7. Raavan (2010): रावण का एक नया रूप
रावण मणि रत्नम द्वारा निर्देशित, रामायण की पारंपरिक कहानी को रावण के दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। फिल्म में रावण को मानवीय रूप में दिखाया गया है, जो अच्छे और बुरे के पारंपरिक विचारों को चुनौती देता है। इस फिल्म के माध्यम से हमें यह महसूस होता है कि लोककथाएँ जितनी सरल दिखती हैं, उतनी ही जटिल और बहुआयामी हो सकती हैं।
The Revival of Folklore in Cinema: A Timeless Trend
भारतीय सिनेमा में लोककथाओं का पुनरुत्थान इस बात का प्रमाण है कि हमारी सांस्कृतिक जड़ें कितनी गहरी हैं। इन फिल्मों के जरिए न केवल हमें मनोरंजन मिलता है, बल्कि वे हमारी सांस्कृतिक पहचान की पुनर्खोज का भी साधन बनती हैं। चाहे Tumbbad की पौराणिक हॉरर हो, Stree की सामाजिक व्यंग्यात्मकता, या कन्तारा की आध्यात्मिकता, ये सभी फिल्में हमें यह दिखाती हैं कि भारतीय लोककथाओं की अपील समय के साथ खत्म नहीं होती, बल्कि हर दौर में नई जिंदगी पाती रहती है।
फ़िल्ममेकर्स इन कहानियों के ज़रिए परंपरा को सहेज रहे हैं, उसे नया रूप दे रहे हैं, और ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि पुरानी कहानियाँ आज भी दर्शकों को उतनी ही आकर्षित करती रहें।
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